हिंदी कविता किसी भी स्तर से समृद्ध और गहन है। इसका इतिहास लगभग एक हजार साल पहले का पता लगाया जा सकता है। यह संकलन, विश्व भर में सबसे अधिक संख्या में काव्य प्रेमियों के लिए महान हिंदी कविता प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास है।
काश (ख्वाबों की रद्दी...) डॉ. दुर्गेश सिंह की कविताओं का संग्रह छोटे शहर बलिया की गलियों से निकलकर दिल्ली की भागती ज़िंदगी तक, डॉ. दुर्गेश सिंह ने जीवन को कई रंगों में देखा है—कुछ पूरे हुए सपनों के रंग, और कुछ अधूरी ख्वाहिशों की धुंधली परछाइयाँ। इस संग्रह में वे उन ख्वाबों की बात करते हैं जो कभी उड़ान भरने को तैयार थे, पर वक्त की रद्दी में दबकर रह गए। यह किताब उन भावनाओं की आवाज़ है जो अक्सर दिल में रह जाती हैं—एक अधूरी चिट्ठी, एक खोया हुआ सपना, एक अनकहा "काश..."। हर कविता एक झरोखा है, जहाँ से आप लेखक की संवेदनाओं, अनुभवों और जीवन-दर्शन को महसूस कर सकते हैं। "काश (ख्वाबों की रद्दी...)" सिर्फ कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक आत्मिक यात्रा है—जहाँ पाठक अपने ही ख्वाबों की रद्दी में कुछ अपना ढूँढ सकते हैं