काव्य संग्रह के बारे में आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का कथन "साहित्य समाज का दर्पण होता है, कहीं न कहीं सत्य चरितार्थ होता है और यह आपको देखने को पूरे काव्य संग्रह में मिलेगी
साहित्य और समाज का संबंध अन्योन्याश्रित जो हमारे और आपके बीच में चलता रहता है तथा हमारे चारों ओर घट रही घटनाओं का प्रभाव साहित्य पर भी पड़ता है। उन्हीं शब्दों को आधार बनाकर प्रस्तुत काव्य संग्रह "काव्य कुसुम" में आपको देखने को मिलेगी जिस प्रकार से कुसुम अपने सुगंध से चारों ओर खुशबू बिखेरती है उसी प्रकार से यह संग्रह अच्छाइयों को फैलाती व विस्तारित करती है।कविता निश्चित रूप से समाज को या समाज में रहने वाले हर एक बुद्धिजीवी वर्ग , पाठक गणों के लिए कुछ न कुछ अवश्य संदेश देगी जो सकारात्मकता की ओर ले जाने में मदद करेगी यह संग्रह कहीं ना कहीं गांव से लेकर शहर, शहर से लेकर देश या कह सकते हैं कि हमारे और आपके आस-पास जो घटनाएं घटती हैं।उन घटनाओं को आधार बनाकर शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त करने का एक प्रयास किया गया है।
डॉ राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश