इस पुस्तक में लाल किताब के विभिन्न सिद्धांतों,मूल व्याकरण और भावों की व्याख्याओं को सरल भाषा में साझा किया गया है, तथा उन्हें कर्म से जोड़ते हुए व्यावहारिक उपायों के साथ समझाया गया है। इसका उद्देश्य इसे सरलता से समझने योग्य बनाना है, ताकि एक सामान्य व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सके। लाल किताब में मुख्य रूप से अपने कर्मों को सुधारने,जीवों की सेवा करने,परंपराओं से जुड़े रहने और रिश्तों को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है। लाल किताब में सुझाए गए अधिकांश उपाय सेवा की भावना पर आधारित हैं - उदाहरण के लिए, दूसरे भाव में मंगल के दौरान सामूहिक भोज (भंडारा) का आयोजन करना,या बृहस्पति से संबंधित पितृ ऋण के उपाय के रूप में सभी रक्त संबंधियों से एकत्रित समान अंशदान को धर्म स्थान में देना।
इस पुस्तक को लिखने के पीछे मेरे पूज्य पिताजी श्री उदयलाल जी जैन की प्रेरणा रही है। मैं अपने मित्रों श्री करण शर्मा और श्री कैलाश सोनी का इस पवित्र प्रयास में उनके पूर्ण सहयोग के लिए हृदय से आभारी हूँ।
“ अंत में आपके कर्म ही आपकी जिंदगी का रास्ता तय करते है ”