महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र सभी अल्पायु, अकाल मृत्यु से बचने का सरल मार्ग है। पार्वती माता ने जनकल्याण हेतु देवादिदेव महादेव से प्रार्थना की इस पर प्रस्सन होकर भगवान् शिव जी ने महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र बताया था। आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने का उद्देश्य यह है, कि आप सभी शनि देव के इस चमत्कारी स्त्रोतम को भली भांति प्रकार से समझ पाएं । शनि एक संस्कृत शब्द है। ‘शनये कमति सः’ जिसका अर्थ है ‘अत्यन्त धीमा’। जिस कारण शनि की गति बहुत धीमी है। शनि की गति भले ही धीमी हो पर फल देने में सबसे तीव्र है। शनि देव सूर्य देव के पुत्र होने के कारण बहुत ही शक्तिशाली हैं, शनि देव का तेज़ और शक्ति देवताओं में सर्वमान्य है। शनि देव अत्याधिक क्रोधी एवं दयालु हैं। जिस कारण मानवों और देवताओ में शनि देव का डर व्याप्त है। भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, क्योंकि शनि देव पाप करने वालों को और अन्याय करने वालों को अपनी दशा या अंतर दशा में दण्डित करते हैं। शनि देव ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह प्रकृति के नियम को बनाए रखें और प्रकृति का संतुलन बना रहे।