क्या कभी चढ़ी हैं आपने मन की सीढ़ियाँ?
क्या कभी उतरे हैं आप रूह में अपनी?
ये कविताएँ हमारे मन के भीतर चढ़ती-उतरती सीढ़ियाँ हैं।
हमारा हर एहसास, हर अनुभव हमें इक सीढ़ी तक ले जाता है।
कभी ये सीढ़ियाँ आपको प्रेम की ऊँचाइयाँ दिखायेंगी तो कभी विरह की गहराइयाँ।
शब्दों में ढली ये यात्राएँ,
आपको खुद की रूह की दहलीज़ तक ले जाएँगी।
तो आइए, कदम बढ़ाइए
और चढ़िए अपने मन की सीढ़ियाँ