बेटी एक ऐसी दौलत है जिसे पाकर जीवन सफल होसक्ता है। बेटियाँ वो चिड़िया है जो अपने माँ-बाप के खातिर, अपने परिवार के खातिर अंजाने सफर पे चली जाती है। बेटियाँ ही होती है जो अपने माँ-बाप की सेवा मे हमेशा उपलब्द रहती है। लेकिन बेटियों को हमारे समाज मे वो सम्मान नहीं मिलपता है, उसके बोहत सारे कारण है, वे सामाजिक भी है और राजनैतिक भी। हम बेटियों को देवी लक्ष्मी तो कहते है लेकिन उन्हे कभी वो देवी का दर्जा नहीं देते। ये किताब एक कोशिस है जहा बेटियों को उनका हक का सम्मान दिया गया है। समाज को एक आईना दिखाने का काम ये किताब करती है। बेटियाँ होती है तो घर मे खुशबू बर करार रहती है, बिन बेटियों का घर तो बेजान सा ही होता है।