मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी स्वर्ग या नर्क की कल्पना नहीं की थी मैं हमेशा यही मानता आया था की स्वर्ग और नर्क धरती पर ही होते है कर्म के अनुसार ही फल मिलता है अतार्थ स्वर्ग या नर्क मिलता है, जैसे कोई मनुष्य अच्छे कर्म करता है तो वह आनंद को भोगता है और वही उसके लिए स्वर्ग है और यदि कोई व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो दंड पाता है और वही उसके लिए नर्क बन जाता है। पर मुझे ऐसा लगा की यह जो धरती पर स्वर्ग और नर्क की मैं कल्पना करता था वह मात्र देह से ही सम्बंधित है। मैं कह सकता हूँ की देह को कष्ट केवल मृत्युलोक मैं ही हो सकता है क्यूंकि देह केवल एक घर है जो आत्मा को संजो कर रखता है और पृथ्वीलोक पर ही यह देह पांच तत्व मैं विलीन हो कर यहीं रह जाती है आगे का सफर तो केवल और केवल आत्मा को ही तय करना होता है। इस पुस्तक को मैंने स्वर्ग की यात्रा इसलिए नहीं दिया की मैं स्वर्ग में गया हूँ या उसको खुद जाकर देख कर आया हूँ | अपने गुरु के आशीर्वाद से मुझे इसका अवसर प्राप्त हुआ हालांकि मेरे मन मै कभी भी स्वर्ग देखने की इच्छा नहीं हुई|
आचार्य गौरव आर्य एक भारतीय ज्योतिषी और शोधकर्ता हैं। वह 2007 से ज्योतिष में अभ्यास कर रहा है। अब, कई मामलों के पूरा होने के बाद, वह दुनिया में ज्योतिषीय सेवाएं प्रदान कर रहा है।
वह एक भारतीय ज्योतिषी और शोधकर्ता हैं। पेशे से, वह एक ज्योतिषी / अपसामान्य विशेषज्ञ और भोक्ता है। करियर की शुरुआत में वह इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद मैकेनिकल इंजीनियर थे, उन्होंने ज्योतिष परामर्श शुरू किया। अब ज्योतिष में आचार्य गौरव आर्य एक प्रमुख नाम है। उन्होंने हिंदी भाषा में कई किताबें लिखीं जैसे "श्री शनि संहिता", "यन्त्र तत्त्वम्"
उपलब्धियाँ- 2017 में गौरव आर्य ने उत्तराखंड के सीएम द्वारा ज्योतिष श्री को सम्मानित किया और 2018 में उन्हें उत्तराखंड के सीएम द्वारा ज्योतिष विभूषण से सम्मानित किया गया, और 2019 में उन्हें ज्योतिष में उत्कृष्टता का पुरस्कार और पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्योतिषी गौरव आर्य भारतीय असाधारण विशेषज्ञ और मनोगत गुरु हैं, वे नियमित रूप से विद्यार्थियों को सिद्धि साधना सिखा रहे हैं।