पुस्तक-विवरण
प्रवेश अपसेट सा बोला,‘‘लगता है मेरी डायरी कहीं गिर गई है। मैं जाता हूं। देखता हूं।’’ कहकर वह निकलने ही वाला था कि विकास उठता हुआ बोला, ‘‘पहले अपना बिगड़ा हुआ हुलिया ठीक कर। कपड़े बदल। हाथ-मुंह घो।’’
‘‘हुलिया चेंज करने और कपड़े बदलने का वक्त कहां है मेरे पास। इससे तो और देर हो जाएगी। कहीं गिरा होगा, तो कोई उठाकर चलता बनेगा। डायरी मेरे लिए बेशकीमती है।’’ प्रवेश पलटकर रूम के दरवाजे तक पहुंचते हुए बेरूखी से जवाब दिया।-इसी किताब से
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