इस काव्यसंग्रह 'नकार नहीं सकते' में कुलमिलाकर 31 रचनाएं हैं। समसामयिक परिस्थितियों से जुड़ी कविताएं हैं, जिन्हें पढ़ने पर अपनी ही अन्तर्वेदना की सघन अनुभूति होती है।
छलावों के बीच कविता में वे स्पष्ट करते हैं कि क्षणिक सुख चासनी के समान लगता है, जिसके कारण व्यक्ति को उचित-अनुचित कुछ दिखाई नहीं देता। सुकून कविता में वैचारिक विरोधाभास को उजागर करते हुए कवि ने सुकून की तलाश की है।'लेखा जोखा' कविता में विद्वान कवि ने कर्मों के प्रतिफल जन्म-जन्मांतर तक भोगने की हिंदू-अवधारणा को काव्य रूप में प्रस्तुत किया है।'निर्जीव दीवारें 'कविता में वे बताते हैं कि आधुनिकता की दौड़ में लोग संवेदनहीन हो गए हैं।'पतझर के पत्तों सी' कविता जीवन भर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिश्रम रत जीवन के उत्तरार्ध में कुछ भी हाथ न लगने पर होने वाले प्रायश्चित को व्यक्त करती है। यह संपूर्ण काव्य संग्रह कविता रूपी विविध सुखद रंगीन पुष्पों का गुलदस्ता है। आचार्य नीरज शास्त्री