कोरोना संक्रमण को हम एक नैसर्गिक नियंत्रण के रूप में भी मान सकते हैं , जिसके द्वारा क्रमशः बढ़ते हुए मानव जनसंख्या पर एक स्वाभाविक नियंत्रण स्थापित होता हुआ प्रतिभासित हो रहा है| क्या हम इस नियंत्रण से खुद को अलग कर पाएँगे? क्या अन्य जंतुओं की भाँति हमें भी कोरोना के नियंत्रण में ही रहना होगा ? क्या कोरोना ही मानव निर्मित चिकित्सकीय प्रणाली पर सीधा प्रहार है ? क्या विश्व परिवार इस गंभीर संकट से खुद को मुक्त करते हुए अग्रज की भूमिका में खुद को देख पाएगा ? अगर हाँ तो कैसे ?
परिस्थिति जो भी हो , इतना तो स्पष्ट है कि समाज और संप्रदाय पर पैसों का नियंत्रण और हथियार का वर्चस्व अब झूठा साबित हो रहा है, अब तो लोग एक दूसरे से घुल मिलकर संयुक्त रूप से न दिखने वाले दुश्मन से लड़ने के लिए मन बना चुके हैं | उन्हें अब सिर्फ़ एक ठोस नीति निर्देशक तत्व के लिए इंतजार करना पड़ेगा, इतना ही नहीं उस तत्व को अमल में ला पाने के लिए भी प्रयत्नशील होना होगा |
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