पुस्तक-परिचय
उपन्यास ‘लाॅकडाउन’ ऐसे धरतीपुत्रों की कथा है, जो खेती के सूखाग्रस्त हो जाने पर कमाने-खाने के लिए शहर की ओर पलायन करते हैं। तभी कोरोना महामारी के रोकथाम के वास्ते देश में लाकडाउन का ऐलान हो जाता है।
तालाबंदी से छूट मिलने पर वे अपने घर की ओर सायकिल से निकल पड़ते हैं। रास्ते में कोरोना का कहर झेलनेवाली एक 13 वर्षीय लड़की भी मिलती है, जो अपने 70 वर्षीय पिता को सायकिल में बिठाकर अपने घर की ओर चल पड़ी है। ‘लाॅकडाउन’ इन्हीं माटीपुत्रों के संधर्ष की दास्तान है।
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