 
                        
                        पुस्तक-विवरण
 पत्र पहले संचार का माध्यम हुआ करता था। इसीलिए पत्रशैली में, ‘एक पत्रः भगोड़ों के नाम’ ‘लघु व्यंग्य उपन्यास’ सृजित किया गया है, जो उन हस्तियों पर कटाक्ष है, जो लोकधन को लूटकर अपनी तिजोरियां भरते हैं। फिर जब लौटाने की बारी आती है, तब सत्तातंत्र को अंगूठा दिखाकर विदेशगमन कर जाते हैं। 
इसके विपरीत, बैंकर्स आम नागरिकों पर इस कदर टूट पड़ती हैं कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। प्रस्तुत ‘लघु व्यंग्य-उपन्यास’ इन्हीं विसंगतियों से पत्रशैली में रूबरू करवाता है। 
  --00--