ये कहानी एक ऐसे इन्सान के बारे मे हे. वो किससे लड़ रहा हे, क्यूँ लड़ रहा हे, ऐसे सवाल का उसके पास कोई जवाब नही हे. हे तो बस एक मकसद. जिसे उसने चुना हे या मकसद ने उसे ये तो पता नही, पर अब ये मकसद ना केवल उसकी जिंदगी हे बल्कि उसके वजूद का एक हिस्सा भी हे. वो चाहकर भी खुद को इस मकसद से अलग नही कर सकता, बस इस मकसद की राह पर चलना ही उसकी किस्मत हे.
हर इन्सान की ज़िन्दगी में एक मोड़ आता हे जब वो सही और गलत के बीच फैसला नहीं कर पाता. ज़िन्दगी का हर फैसला सही और गलत जैसा आसान चुनाव पर निर्धारित नहीं होते. कुछ ऐसे फैसले भी होते हे जिनका होना एक जरूरत होता हे. ऐसे फैसले इन्सान के जीने का मतलब और मकसद दोनों बदल देते हे. वो उस इन्सान को ऐसे मोड़ ओए लाकर खड़ा कर देते हे जहाँ से सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता हे.
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