एक कविता संग्रह मात्र नहीं है बल्कि यह एक सपनों का नगर है जिसमें मैं तब से विचरण करता हूँ जब से मैने होश संभाला, माँ का स्नेह, गुरु की कृपा, पत्नी और बेटी का कर्तव्यबोध, समाज के ज्वलंत प्रश्न, भक्ति का अथाह सागर, देश प्रेम का उद्दाम आवेग, मनोरंजन की विधा, दुखों का आवागमन यह सब आप कविताओं में साक्षात् अनुभव करेंगे मेरे साथ. भक्ति रस के साथ साथ श्रंगार रस का भी भरपूर आनंद मिलेगा क्योंकि यह सम्पूर्ण नगर है यहाँ देवता भी निवास करते है और कष्ट पैदा करने वाले दैत्य भी, सात्विक, राजसी और तामसी तीनों प्रवृत्तियों का संगम देखने को मिलेगा, हिन्दी के अतिरिक्त उर्दू भाषा का सम्मिश्रण जो देश की मिट्टी से जोड़ दे और अभिव्यक्ति में असर बढ़ा दे यह सब जो कविता की मांग है इस इंद्रधनुष में आपको भलीभांति परिलक्षित होगा, आज देश प्रेम के जज्बे को पुनः जगने का समय आया है इसलिये वीर रस से परिपूर्ण भारत माता का मंदिर आपको आंदोलित कर देगा ,