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Rooh ke Suroor - Hardcase / रूह के सुरूर हिन्दी ग़ज़ल

Author Name: Shubh Chintan | Format: Hardcover | Genre : Poetry | Other Details

छोड़ो, क्या चाहना वफ़ा तुमसे

क़र्ज़ होते नहीं अदा तुमसे

 

मेरे चेहरे पे शिकन कोई नहीं

ये तो टूटा है आईना तुमसे

                                                                                             ***

बन गया जब से साहिब-ए-मसनद

शेर हो जी-हूज़ूर जाता है

 

चूमता है जबीं को जब याराँ

आत्मा तक सुरूर जाता है

***

मनसबों के लिए दस्तार बिछाया ना करो

ज़मीर बेचने बाज़ार में ज़ाया ना करो

***

ढलते हुए सूरज का एहतराम किया है

जो तख़्त से उतरे, उन्हें सलाम किया है

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शुभ चिंतन

लेखक (born 1968) IRS (1993 batch) अधिकारी हैंI लेखक ने इंजीनियरिंग की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय  और IIT दिल्ली से प्राप्त की। लेखक को उत्कृष्ट लोक सेवाओं के लिये गणतंत्र दिवस, 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा और कस्टम्स में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिये World Customs Organization (WCO) द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है। लेखक की हिन्दी ग़ज़लों, नज्मों और गीतों का यह बारहवाँ संग्रह है। इन बारह किताबों में क़रीब बारह सौ ग़ज़लें, नज्में और गीत लिखे गये हैंl

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