आज के जीवन में मनुष्य अपनी जीवन शैली में इतने तल्लीन हो गए हैं कि वे अक्सर क्रियाओं पर प्रतिक्रिया देना भी भूल जाते हैं। नैतिक मूल्य अब हमारे लिए केवल शब्द बन गए हैं। कुछ पाने की तलाश में हम अपनी वास्तविकताओं को पीछे छोड़ देते हैं। यह पुस्तक "सामजिक हकीकत" ऐसी ही मुद्दों का गहराई से वर्णन करती है। पुस्तक में हमारे समाज से कुछ अस्वीकार्य लेकिन मौजूदा घटनाओं का खुलासा किया गया है जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं।