वर्तमान जीवन सरल नहीं है । दुनियादारी के भाग-दौड़ में मनुष्य अपनी संवेदना खो चुका है। संवेदना के अभाव में मानव आत्मकेंद्रित और अमानवीय व्यवहार करने लगा है । न केवल मानव जगत को, अपितु सकल चराचर जगत को सहानुभूति और सौहार्द्र की आवश्यकता है। इस कथा एवं काव्य संग्रह में इन्हीं भावनात्मक स्पर्शों से मानवीय मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है । इस संग्रह में कथा एवं काव्य दोनों संग्रहित हैं ,जो साहित्यिक रूपों की अपनी विशेषताओं से भ्रमित एवं व्यथित मानवता को संस्कारित करेंगी।
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