सत्यशाला (Satyashala (The House of Truth): 161 Easiest, deepest and upmost truths) मूलतः जीवन दर्शन है। अनवर जमाल की यह हिंदी काव्य-रचना सत्य, यथार्थ, शुचिता का चिन्तन और उनकी खोज का पर्याय है। मनुष्य का आचरण स्वैच्छिक, पारिवारिक, शारीरिक, धार्मिक, सामाजिक और विधिक बंधनों में होता है। हम जो भी करते हैं वो विभिन्न बंधनों की माप पर सही अथवा ग़लत तो हो सकता है, किन्तु वास्तव में हम कुछ भी सत्य के विरुद्ध नहीं करते। सत्यशाला ब्रह्मांड के सतत् सत्य की माला है। एक बिंदु से अभ्युदय और प्रतिदिन, प्रतिछण होता विस्तार और जीवन में ईश का हस्तक्षेप। हमारे कर्म और आचार की दिशा, हमारा सामाजिक और आध्यात्मिक अस्तित्व।
१६१ छंदों में रूपांकित सत्यशाला १२८८ पंक्तियों की एक ही कविता है। सत्यशाला सभी जीव, प्रकृति, आत्मा और परमेश्वर के अंर्तनिहित स्वभाव का सुशोभन है। वह जो निरपेक्ष है, जिसका ना कोई जनिता है और ना ही जन्य, और ना कोई उसका समकक्ष। सत्यशाला आत्म-बोध, केवल-ज्ञान, उस परम ईश का साक्षात्कार और उससे हमारे संबंध का सरलतम, गहनतम एवं उच्चतम सत्य है।
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