 
                        
                        शनि चालीसा का अर्थ है भगवान् शनि देव का वर्णन करना उस वर्णन से शनि प्रसन्न होते है । यहाँ पर चालीसा का अर्थ है की अगर नियम अनुसार चालीस दिनों तक नियम अनुसार शनि चालीसा का पाठ किया जाये तो यह शनि चालीसा सिद्ध हो जाती है। जब कोई भी भक्त शनि चालीसा का नियम से चालीस दिन तक पठन करता है तो वह सिद्ध हो जाती है और सिद्ध होने का अर्थ है की भक्त को शनि देव का विशेष स्नेह प्राप्त हुआ है। या यूँ कहें की भक्त जिस कार्य के लिए चालीसा का पठन कर रहा है उस कार्य में उसको सफलता प्राप्त होना। वैसे तो कोई भी चालीसा को चालीस दिन तक नियमनुसार पढ़ने से ही वह सिद्ध हो जाती है। शनि चालीसा में एक-एक श्लोक को अर्थ सहित पुस्तक में समझा रहा हूँ। शनैश्चर के शरीर की कान्ति इंद्रनीलमणि के समान है। इनके सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित हैं। शनि गिद्ध पर सवार रहते हैं। ये हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल और वरमुद्रा धारण करते हैं। एक अन्य रूप में शनि देव काले रंग में, एक तलवार, तीर और दो खंजर लिए हुए है और वे अधिकतम एक काले कौए पर सवार होते हैं।