साईं बाबा का जन्म 1838 शिरडी में हुआ था वह एक फ़क़ीर गुरु व योगी थे। सांईं बाबा के पिता का नाम परशुराम भुसारी और माता का नाम अनुसूया था जिन्हें गोविंद भाऊ और देवकी अम्मा भी कहा जाता था। इनके भक्तो ने इन्हे भगवान् का दर्जा दे दिया था। 15 अक्टूबर 1918 (दशहरे के दिन) को बाबा ने शिरडी में समाधि ली थी। उन्होंने दुनिया छोड़ने का संकेत पहले ही दे दिया था, उनका कहना था कि दशहरा धरती से विदा होने के लिए सबसे अच्छा दिन है। वे साधारण लोगों के बीच रहकर ही साधारण जीवन जीना पसंद करते थे। उन्होंने प्रेम, क्षमा, दुसरो की सहायता, दान, संयम, आत्मिक शांति, भगवान ओर गुरु के लिए समर्पण की नैतिक शिक्षा दी। माना जाता हैं साई बाबा ने जीवन भर जरुरत मंदों की सेवा की जिसे लोग चमत्कार भी कहते हैं। बाबा की सेवा में कोई दिखावा नहीं था पर उनके नेक कामों ने हर किसी के दिल में उनके लिए श्रद्धा भाव जाग्रत किये। उनका आदर्श वाक्य था “सबका मालिक एक”। मुस्लिम ओर हिन्दू दोनों ही उनके जीवन काल में ओर उसके बाद भी उनका सम्मान करते हैं।
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