थिंक्स फॉर लाइफ हर एक दिन जीने का अहसास है ,हर दिन कुछ न कुछ महसूस करने का ज़रिया और नज़रिया ।
इसे पढ़ते वक़्त आप हर पल ये कह सकते है कि हाँ मैंने भी ये चीज़ महसूस की थी या की है .. इसे लिखते वक़्त मैंने ये जाना कि कभी कभी सोच में मैं इतना डूब गई थी कि यूँ लगता था , ये शब्द मेरे साथ ही रहते हैं ,सुबह उठते ही प्यारी सी मुस्कान मुझे देते हैं ।
कुछ ऐसे ही एक एक शायरी और कविता को दिल से महसूस करते हुए कोरे काग़ज़ से आप तक पहुँचाने की कोशिश की है ।
"तारे बंजारों की चाह में " किताब के माध्यम से ये वर्णन दिया जा रहा हैं कि कुछ अगर हासिल करने का मन हो और जुनून हो तो तारे खुद उन बंजारों के लिए चलके आते हैं , जिन्होंनें आज भी जीवन के रास्तों में बन्जारें बन वो खोज जारी रखी है कि आख़िर वो क्या है जो उन्हें सबसे अलग बनाता है और कौन सी वो छोड़ी हुई चाह है जो वो पूरा करना चाहते हैं । क्या वो सब हासिल करने के लिए हम जैसे बंजारो में उतनी हिम्मत है या नही ?अगर हम उस राह में बन्जारें बन चल पड़ते हैं तो तारें(विक्टरी, नाम) खुद हमारी चाह में इंतज़ार में रहते हैं । हमें ज़रूरत ये है कि इसके लिए मन की सुनकर मन की करते रहना और आगे बढ़ते रहना..
कई ताने भी मिल सकते हैं इस राह में , पर जो खुद के नाम और मन के लिए कुछ करते हैं असल तारें उन्हीं की जेब में मिलते हैं.. ।
- कृतिका अगरवाल
(थिंक्स फॉर लाइफ)
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