देखिये * तरंगिनी *, मेरा पहला काव्य संग्रह शान्त, निर्विघ्न, निर्मल, पावन, मनभावन लहराती इठलाती आप पाठकों तक पहुंच गयी.
* तरंगिनी *मेरा पहला काव्य संग्रह है, इसमें जीवन और प्रकृति के समस्त रंग अपनी पूरी छटा के साथ समाहित है…
श्रृंगार, भक्ति, वीर, प्रेम रस एवं देश प्रेम से ओत प्रोत छन्द पाठकों को मनोहारी लगेगी, यह मेरा विश्वास है...
हिन्दी काव्यशास्त्र गहरा सागर है, इसी सागर से मैने चन्द सुन्दर छन्द विधाओं के अनमोल मोती चुन कर *तरंगिनी *में डाले हैं।
मैने मात्रिक और वार्णिक दोनो प्रकार के छन्द लिखे हैं जिनमें.... विभिन्न प्रकार के सवैये, घनाक्षरी, पञ्चचामर (सभी वार्णिक) तथा शक्ति, रूपमाला, दोहे, चौपाई, सारललित, हरिगीतिका, गीतिका, कह मुकरी, उल्लाला, ताटक, त्रोटक, कुकुभ, लावणी सभी हैं....
नमन वीणा पाणी को जो मन में भाव भरतीं हैं, वन्दन माँ दुर्गा को जो शक्ति देतीं हैं, पुष्पचन्दन प्रेम प्रतीक राधे कृष्णा को, जय जय महाकाल की...
तरंगिनी को काव्यप्लावित करने में फेसबुक का बहुत बड़ा योगदान है, जहाँ 2016 से निरन्तर अपनी रचनायें प्रेषित करती आ रही हूं..... गूगल को धन्यवाद जिससे मैने विभिन्न छन्द विधाएं सीखीं...... आभारी हूं *फेसबुक मित्रों *की जिन्होंने दिल खोल कर मेरे सृजन की सराहना की..... आभारी हूं दीपकमणि जी की, जिन्हें फेसबुक पर मैने '' शायरे-हिन्द '' का ख़िताब दिया है, क्यूंकि वहाँ मेरा पोस्ट दरबारे-ख़ास है और मैं वहाँ की साहिबे आलम। ये तरंगिनी सृजन के अहम प्रेरणा स्त्रोत बने रहे...
अपरिमित स्नेह सहित विशेष आभार मेरे प्यारे-प्यारे छोटे बेटे अंकित को, जिसने पुस्तक प्रकाशन में अथक सहयोग प्रदान किया…
अन्ततः काव्य संग्रह आपके हाथों में है......
*इन्दु *
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