जब मैंने लिखने की शुरुआत की थी तब कई प्रश्न मेरे दिमाग में आते थे। महान कहानीकार कहानी कैसे लिखते हैं? उनकी कहानी लिखने की प्रक्रिया कैसी होती है? वे पहले शीर्षक चुनते हैं? अथवा कहानी लिखने के बाद शीर्षक लिखते हैं।
मगर उन दिनों मुझे इन प्रश्नों के जवाब कहीं नहीं मिले। कई किताबें ढूंढी। कई पुस्तकालय गया। कई किताबें मंगाई। उन्हें पढ़ी। उसी दौर में 'उपन्यास कैसे लिखे?' किताब खरीदी। भाषाशैली पर पुस्तकें पढ़ी। मगर, मन की जिज्ञासा शांत नहीं हुई। उसी दौर में 'महान लेखक कैसे लिखते हैं?' शीर्षक से मैंने कई लेख लिखे।
इन लेखों में उन महान साहित्यकारों के लिखने के अनुभव थे। उन्हें लिखने के लिए क्या-क्या व कैसी परिस्थितियां चाहिए थी? लेखन के पूर्व क्या-क्या तसल्ली करते थे? क्या-क्या तरकीब आजमाते थे? इन्हें पढ़कर ही साहित्यकारों की रचना प्रक्रिया को मैंने समझा था।
यह सब करने के बावजूद कई अनुत्तरित प्रश्न थे जिनके जवाब मुझे नहीं मिले थे। यह जवाब हर नवोदितों को लेखन के आरम्भिक दिनों में परेशान करते रहते हैं। जिन्हें कोई साहित्यिक गुरु मिल जाता है, उन्हें इसका समाधान मिल जाता है। अधिकांश रचनाकारों को उनके जवाब नहीं मिलते हैं।