लेखक डॉ. पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी की अपील
मैं भारत एवं विश्व के सभी संतों एवं महापुरुषों को सादर नमन करता हूँ।
इस ग्रंथ का उद्देश्य भगवान के नित्य पंच सखाओं द्वारा 600 वर्ष पूर्व रचित उड़िया शास्त्र को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना है। यह ग्रंथ केवल उन भक्तों के लिए है जो मालिक शास्त्र के गूढ़ तत्वों को शुद्ध श्रद्धा से समझकर आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं, जो भगवान श्री कल्कि और भक्ति द्वारा धर्म की पुनर्स्थापना के बारे में जिज्ञासु हैं। ऐसे पाठकों को इस ग्रंथ का गहन श्रद्धापूर्वक अध्ययन करना चाहिए और इसे जीवन में उतारना चाहिए।
मैं किसी को भी इस ग्रंथ का अनुसरण करने के लिए बाध्य नहीं करता। यदि यह संदेह, भय या असुविधा उत्पन्न करता है, तो कृपया इसका अनुसरण न करें। यह ग्रंथ सनातन आस्था का प्रतीक है और इसे केवल वे ही पढ़ें जो इसे हृदय से स्वीकार करते हैं। हम इससे आहत या भ्रमित हुए किसी भी व्यक्ति के प्रति क्षमा याचना और सहानुभूति व्यक्त करते हैं और उनसे पुनः अनुरोध करते हैं कि वे इसका अनुसरण न करें।
सभी के कल्याण के लिए, हम संतों, आस्तिकों और भक्तों से विनम्र निवेदन करते हैं: युग का एक महान परिवर्तन हो रहा है। शीघ्र ही एक नए युग की स्थापना होगी। यह धर्म और अधर्म के बीच चयन की महान परीक्षा का समय है। इसलिए, प्रत्येक परिवार में सभी को - बच्चों, युवाओं, माता-पिता, बुजुर्गों को - श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ करना चाहिए, त्रिकाल संध्या करनी चाहिए और नियमित रूप से 'माधव' नाम का जप करना चाहिए। आध्यात्मिक शक्ति के लिए श्रीमद्भागवत महापुराण को अपनाने का समय आ गया है।