तुम्हारे गीत
साहित्य जगत में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो अपनी अनूठी रचनात्मकता के कारण अमर हो जाते हैं। गीतकार एवं साहित्यकार श्री रमेश चंद्र ‘अनिल’ का नाम सन 1940 से 1980 के कालखंड के ऐसे ही साहित्यिक नक्षत्रों में शुमार होता है। उनकी लेखनी ने प्रेम, वेदना और जीवन की सच्चाइयों को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ अपने गीतों में
पिरोया। संगीत के जानकार होने के कारण उन्होंने कई गीतों को मधुर धुनों में ढालकर अनेक कवि सम्मेलनों, साहित्यिक आयोजनों और मंचों पर प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
‘तुम्हारे गीत’ श्री रमेश चंद्र ‘अनिल’ के लिखे गीतों के संग्रह में से 60 चुने हुए गीतों और रचनाओं का संकलन है, जिसमें उनकी लेखन शैली की गहराई और विषयों की विविधता स्पष्ट रूप से झलकती है। सरल भाषा में गहन अर्थ समेटे उनके गीत प्रेम, जीवन की कठिनाइयों और मानवीय संवेदनाओं का दर्पण हैं।
श्री रमेश चंद्र ‘अनिल’ महाकवि गोपालदास ‘नीरज’ की काव्य-रचनाओं और प्रसिद्ध पार्श्वगायक श्री कुंदनलाल सहगल की गायकी से अत्यंत प्रभावित थे। उनके गीतों में नीरज की कविताओं की छाया तथा सहगल की संगीत शैली की लय-बद्धता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
‘तुम्हारे गीत’ उनकी रचनात्मक विरासत को संजोते हुए नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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