संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'उद्धार करें श्री राम ' इस श्रृंखला का छठवां व अंतिम भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
संपूर्ण श्री राम कथा के अंतिम भाग 'उद्धार करें श्री राम' की शुरुआत वहाँ से होती है जब प्रभु श्री राम सागर से रास्ता देने के लिए निवेदन करते हैं। प्रभु श्री राम के क्रोध के डर से सागर प्रकट होते हैं और बताते हैं कि नल-नील में वो शक्ति है जो पत्थर से सागर पर पुल निर्माण कर सकते हैं। श्री राम, रामेश्वरम में शिव लिंग ली स्थापना करते हैं। श्री राम सेना सहित सागर पार कर सुबेल पर्वत पर निवास करते हैं। अंगद दूत बनकर श्री राम का संदेश लेकर रावण के पास जाते हैं किंतु रावण उनकी बात नहीं मानता है। युद्ध का आरंभ होता है। लक्ष्मण जी मेघनाद से युद्ध कर घायल हो जाते हैं और हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर उनकी सहायता करते हैं। कुम्भकर्ण का श्री राम के हाथों और मेघनाद का लक्ष्मण के हाथों वध होता है। अंत में रावण स्वयं युद्ध में जाने का निश्चय करता है। भीषण युद्ध के पश्चात् प्रभु श्री राम के हाथों रावण का उद्धार होता है।