प्रोफ़ेसर सीएनआर राव लिविंग लेजन्ड हैं। आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के 70वें जन्मदिन पर कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को यक़ीन ही नहीं होगा कि हाड़-माँस का यह व्यक्ति कभी पृथ्वी पर चला भी होगा।” ये शब्द महात्मा के सम्मान में कहे गये थे। प्रोफ़ेसर सीएनआर राव के 85वें जन्मदिवस पर मैं इन्हीं शब्दों को दोहराना चाहता हूँ।
प्रोफ़ेसर राव एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संस्थान हैं। वे अनोखे, अद्वितीय और अद्भुत हैं। मैं ख़ुशनसीब हूँ कि हमारी पीढ़ी ने उन्हें देखा है, स्पर्श किया है, महसूस किया है, अनुभव किया है, उनसे सीखा है और प्रेरणा ली है।
मैंने प्रोफ़ेसर सीएनआर राव को एक वैज्ञानिक की तरह, वैज्ञानिकों का नेतृत्व करने वाले एक नायक की तरह, नायकों के नायक की तरह, विज्ञान के लिए नये संस्थान बनाने वाले महाव्यक्ति के तौर पर देखा है। मैंने हमेशा उनमें एक ऐसा दुर्लभ शख़्स पाया है, जो सबसे एक जैसी गर्मजोशी से मिलता है और जिनमें दूसरों के लिए भरपूर हमदर्दी है। उनके भीतर मौजूद बच्चों जैसे उत्साह और जोश को भी मैंने देखा है। मैंने उनके अंदर एक अद्भुत साहसी व्यक्तित्व भी देखा है।
- ‘पद्मविभूषण’ रघुनाथ अनंत माशेलकर
विश्वविख्यात वैज्ञानिक