यह किताब एक ऐसे व्यक्ति की जीवनी है, जिसने मेहनत की, संघर्ष किया। अपने सीखे हुनर से लोगों की सेवा की। डॉक्टर और सर्जन के रूप में कई मरीज़ों का इलाज किया। कई लोगों को नया जीवन दिया। कइयों की शारीरिक और मानसिक परेशानी दूर कर ज़िंदगी में नयी ख़ुशियाँ लायीं। कारोबार किया। कारोबारी दुनिया में धोका भी खाया, कई सबक़ सीखे। साथ ही ख़ूब धन-दौलत और शोहरत पायी।
डॉक्टर निम्मगड्डा उपेंद्रनाथ की कहानी कामयाबी की अनोखी कहानी है। इस कहानी से कई सारे सबक़ सीखने को मिलते हैं। ऐसे सबक़, जो कामयाबी की बुनियाद रखने में मददगार साबित हो सकते हैं।
उपेंद्रनाथ की ख़ूबी रही है कि जब वे कोई लक्ष्य तय कर लेते हैं, तब उस लक्ष्य को हासिल करने तक चैन की साँस नहीं लेते। लक्ष्य पाने के लिए वे अपना जीजान लगा देते हैं। लक्ष्य से ध्यान भटकने नहीं देते। लक्ष्य भी उनके बड़े होते हैं, लेकिन वे ऐसे लक्ष्य निर्धारित नहीं करते, जिन्हें वे हासिल नहीं कर सकते।
उनकी एक और बड़ी ख़ूबी यह है कि जब तक उन्हें इस बात का भरोसा नहीं हो जाता कि वे काम करने के काबिल हैं, तब तक वे उस काम में अपना हाथ नहीं डालते। सोच-समझ कर, सीख-परक कर, पूरी तरह तैयार होने के बाद ही वे काम को, ज़िम्मेदारी को, अपने हाथ लेते हैं।
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