कहानी संग्रह ‘आदमी बने रहने का ढोंग’ में तीस कहानियाँ हैं, जो कि वैविध्य हैं, जिनमें एक आदमी के पूरे वजूद, उसकी फितरत और समाज के साथ उसके व्यवहार या समाज के प्रति उसके व्यवहार को दर्शाया गया है | संग्रह में शामिल कहानियाँ इंसानियत की राह तलाशती कहानियाँ हैं जो मानो यथार्थ और आदर्श दोनों का दामन थामे हुए मानवीय संवेदना को दस्तक दे रही हों और एक साथ कई पैग़ाम लिए नज़र आती हैं, जिससे पाठक कहानी पढ़ने के दौरान रूबरू होता रहता है। कहानियाँ रोचक, मार्मिक और दिल के कोमल से रेशे को स्पर्श करने वाली हैं । इन कहानियों को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि लेखिका का कथाकार मन समाज की विसंगतियों, उसकी चिंताओं और व्याप्त कुरीतियों को देख कर या महसूस करके असहज होता है, जिसे वह कहानी के माध्यम से प्रस्तुत कर इससे निजात पाने की सहज कोशिश करता है और उसमे वह सफल भी होता है ।
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