अरविंद यादव जाने-माने पत्रकार और लेखक हैं। पत्रकार के नाते उन्होंने बहुत कुछ देखा, सुना और अनुभव किया है। काफ़ी कहा और बहुत लिखा है। कथनी और लेखनी के ज़रिये असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ उन्होंने लड़ाई लड़ी है और अब भी लड़ रहे हैं। समाज में दबे-कुचले लोगों के लिए किये जा रहे संघर्ष ने उन्हें पत्रकारों की फ़ौज में अलग पहचान दिलायी है। पिछले दो-तीन सालों से उनका ज़्यादा ध्यान ऐसे लोगों के बारे में कहानियाँ/लेख लिखने पर है, जो देश-समाज में सकारात्मक क्रांति लाने में जुटे हैं। कामयाब लोगों के जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं को जानना और उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश करना अब इनकी पहली पसंद है।
अरविंद साहित्यिक कहानियाँ भी लिखते हैं। वे एक जीवनीकार के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। आलोचना में भी उनकी गहन दिलचस्पी है। हिंदी आलोचना की वाचिक परंपरा के हिमायती हैं।
हैदराबाद में जन्में और वहीं पले-बढ़े अरविंद की सारी शिक्षा भी हैदराबाद में ही हुई। अरविंद ने हिंदी साहित्य, अंग्रेज़ी साहित्य, क़ानून, विज्ञान और मनोविज्ञान की पढ़ाई की। हिंदी मिलाप, आजतक, चैनल 7/आईबीएन 7, साक्षी टीवी, टीवी 9 और योरस्टोरी जैसी नामचीन मीडिया संस्थाओं में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ निभा चुके अरविंद दक्षिण भारत की राजनीति और संस्कृति के बड़े जानकार हैं। ख़बरों और कहानियों की खोज में कई गाँवों और शहरों का दौरा कर चुके हैं। यात्राओं का दौर थमने वाला भी नहीं है।