संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'अनादि अनंत अगोचर राम ' इस श्रृंखला का तीसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
2. कण-कण में बसते श्री राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
6. उद्धार करें श्री राम
‘अनादि अनंत अगोचर राम’ की शुरुआत वहाँ से होती है जब शूर्णपखा श्री राम पर मोहित होकर, रूप बदलकर उनसे मिलने आती है किंतु लक्ष्मण क्रोध में आकर उसकी नाक काट देते हैं। खर-दूषण का प्रभु श्री राम के हाथों वध होता है। मां सीता अग्नि में प्रवेश करती हैं और उनकी जगह माया सीता ले लेती हैं। मारीचि स्वर्णमृग बनकर आता है और उसका भी प्रभु के हाथों वध हो जाता है। रावण, मां सीता को हर के ले जाता है और रास्ते में जटायु से उसका सामना होता है। मां सीता को ढूढ़ते हुए प्रभु शबरी पर कृपा करते हैं और अंत में प्रभु सीते को ढूढ़ते हुए पंपासर सरोवर की ओर निकल जाते हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ ‘अनादि अनंत अगोचर राम’ और जोर से बोलिये जय श्री राम