शायरी उस हिमाक़त का नाम है जो दूसरों के दिलों में बिना इजाज़त ताक - झाँक करती है I
सफ़र दीवानगी का हो तो फिर मंज़िल नहीं ढूँढे
किसी काग़ज़ की कश्ती ने कभी साहिल नहीं ढूँढे
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बुलबुला हूँ पर समुन्दर के निशाने पे हूँ
सच जो बोला तो शहर भर के निशाने पे हूँ
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जहाँ से आज निकली हैं बारातें
वहीं से कल जनाज़ा जाएगा
जहाँ एक रंक को भेजा गया है
वहीं पे भेजा राजा जाएगा
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मिट्टी के हैं बदन सभी के
सोने चाँदी के झगड़े हैं
काग़ज़ के फूलों के पीछे
काहे को पागल भँवरे हैं