वर्षों से हाशिये पर रही कई जनजातियाँ आज बदलाव के दौर से गुजर रही है और विकास के पथ पर अग्रसर है। आधुनिकता के साथ तालमेल बिठाते हुए अपनी जनजातीय अस्मिता और पहचान को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। छत्तीसगढ़ और उड़ीसा मे निवासरत 'भतरा जनजाति' एक संजातीय जाति है जो अपनी विशिष्ट कला और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। नृत्य, संगीत और नाटक प्रेमी भतरा जनजाति की संस्कृति की झलक सहसा ही इनके पर्व और त्योहारों मे दिख जाती है। वर्षों से अपनी संस्कृति और रीति रिवाजों को सहेजे भतरा जनजाति आज विकास की प्रक्रिया से गुजर रही है। भतरा एक कृषि प्रधान जाति है। जल जमीन और जंगल भतरा लोगों के प्राण हैं। प्रस्तुत किताब मे भतरा जनजाति के इतिहास, जीवन पद्धति, खानपान, रीति रिवाज, कला और संस्कृति के बारे मे बताने का अनूठा प्रयास किया गया है।