प्रस्तुत पुस्तक में मानव के ईश्वर से सम्बन्ध को बताने का प्रयास किया गया है। पहले अध्याय ‘ईश्वर क्या है?’ में ईश्वर क्या है, इसे कुछ इस तरह बताया गया है, जो उन सभी बातों से जुड़ा गया है, जिन्हें हम-आप बचपन से सुनते आए हैं। वो किस तरह हमारे भीतर भी है और बाहर भी। अगले अध्यायों रावण से राम तक, कृष्ण के दृष्टिकोण : आज के सामाजिक सन्दर्भ में, नवरात्री की सार्थकता आदि में जीवन को आध्यात्म से कैसे जोड़ें, के बारे में बताया गया है।
इसी तरह की चर्चा करते पुस्तक के अंत में पुरातन वैदिक विज्ञान की योगनिद्रा का एक परिवर्धित रूप ‘शिव योगनिद्रा’ है, जो आपके जीवन में सहायक होगी। विश्वास है कि इन सभी के जरिए आध्यामिक उन्नति हो सकेगी।