ये उपन्यास कुछ ऐसे युवाओ के संघर्ष और आकंछाओ पर आधारित है जो समाज और सामाजिक कुरीतिओं से परे सामजिक समरसता का ख्वाब देखते है। हमारा जीवन ये समाज एक दायरे में बंधा है ,अमीरी -गरीबी,जाती,वर्ग,समुदाय मजहब जैसे कई ऐसे दायरे है जो तय मानक पर आधारित है।
किंतु कहानी में नायक के मन में उठने वाले भाव तरंगे ,प्रेम की लहरे इस समाज रूपी दायरे बंधन से परे है जहाँ बोध है मनुष्यता का,नैतिकता का ,समान हक़ ,न्याय का, जिसके लिए वे समाज से संघर्ष करते है।
क्या उनके सपने पुरे हुए ? क्या वो इस दायरे को तोड़कर आगे बढ़ पाए ?क्या उनकी मंजिल मिलपाई ? इन सब सवालों के जबाब आपको इस उपन्यास को पढ़ने के बाद ही मिल पायेगा।
निः सन्देह आप को ये कहानी अंदर से विचारो की एक नई पराकाष्ठा पे लेजाने वाली है ,जहाँ प्यार है ,तकरार है ,रहस्य ,अपराध है ,नाटक है ,हास्य है ,आंख को अंशू से भर देने वाली चिर करुण वेदना है।
तो चलिए हम और आप अपने अपने तय मानक पर आधारित वैचारिक संकीर्णता से बांध,बंधन, दायरा को तोड़ सभ्य और उन्नत समाज की ओर बढ़ते है।
आप सीधा मुझसे मेरी ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से जुड़ सकते है ,जहाँ आपको और भी बहुत कुछ ढेर सारा विजडम ज्ञान से सम्बंधित पढ़ने को मिलेगा : www.dharmendramishra.com
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