कहीं धूप तो कहीं छांव ऐसी ही अनोखी हिन्दी कविताओं की एक किताब है। जिसमे ज़िंदगी के लम्हों को बड़े प्यार से संजोया गया है और अपने एहसास, दिल के जज्बातों को इन कोरे कागज़ पर उतारा गया है संगीता कुमारी के द्वारा।
कहीं धूप तो कहीं छांव से यह आशय है ज़िंदगी में कभी न कभी ऐसा समय भी आता है जब सब कुछ खत्म सा लगता है और फिर कहीं से एक उम्मीद की चमकान दिखाई पड़ने लगती है।
"कहते है ना ज़िंदगी में वादे करने आसान है लेकिन उनको निभाना उतने ही मुश्किल"
हर एक कविता में आपको कोई कहानी नज़र आएगी। अपनी ज़िंदगी का एक छोटा सा हिस्सा आप सब के साथ बांट रही हूं।
आशा करते है आपको ये किताब जरूर पसंद आएगी ।।
धन्यवाद