5 से 16 वर्ष आयु के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई संपूर्ण श्री राम कथा को छः भागों में बांटा गया है। 'कण-कण में बसते श्री राम ' इस श्रृंखला का दूसरा भाग है। अन्य 5 भाग:
1. जय रघुनंदन जय सिया राम
3. अनादि अनंत अगोचर राम
4. मृदुल-मनोहर छबि अभिराम
5. ह्रदय बसें हनुमान
'कण कण में बसते श्री राम' की शुरुआत वहाँ से होती है जब राजा दशरथ, प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी कर रहे होते हैं किन्तु कैकयी को दिए वचन के अनुसार उन्हें कैकयी की बात माननी पड़ती है और अंततः प्रभु श्री राम, सीता और लक्ष्मण संग वनवास को निकल जाते हैं। दशरथ यह वियोग सहते सहते अपने प्राण त्याग देते हैं। वनवास के दौरान केवट प्रभु की नैया पार कराते हैं। चित्रकूट में अपने निवास के समय कोल भील उनकी सहायता करते हैं। प्रभु के वियोग में दुःखी भरत, प्रभु श्री राम से मिलने चित्रकूट आते हैं। अंत में भरत चित्रकूट से लौट कर अपना सिंहासन त्याग कर वहाँ प्रभु श्री राम की चरण पादुका स्थापित करते हैं।
तो पढ़िए मेरे साथ 'कण कण में बसते श्री राम' और जोर से बोलिये जय श्री राम………