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Katha Gita / कथा गीता जागतिक मैत्री की ओर बढ़ते कदम

Author Name: Chandan Sukumar Sengupta | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

गीता से हम श्री मदभागवत गीता का विषय ही समझते हैं | वह तो अपने आप में ही एक पूर्ण ग्रंथ है | उस ग्रंथ के ज़रिए किसी भी व्यक्ति जीवन को सजाया और सँवारा जा सकता है | उस ग्रंथ के अतिरिक्त और भी कई संकलन में गीता हमारे जातीय संस्कृति में समय समय पर पनपता रहा और विकसित होता रहा | उन संकलनों को हम भुला ही चुके हैं | किसी शास्त्रीय व्याख्यान में शायद ही उन संकलनों पर चर्चा होते हों |

          

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श्री चंदन सुकुमार सेनगुप्ता

हमें इस बात का पूरा विश्वास है कि कथा गीता किसी भी भक्त वत्सल के मन में ईश्वर और ऐश्वरिक सत्ता के प्रति एक गहरा अनुराग पैदा करेगा | उनके मन में एक ऐसी आकांक्षा का जागरण होगा जिसके ज़रिए ईष्ट का सान्निध्य अनुभव करने लायक समर्थ होते हुए खुद के प्रतिभासित होते रहने का विषय अनुभव कर सकेंगे |

हमारे पास जो भी शरीर तंत्र और संवेदना तंत्र है उसके बल पर हम किसी बाहरी उद्दीपनाओं को अनुभव कर सकते हैं, पर हमारे अन्तर मान में पनपने वाले उद्दीपनाओं को अनुभव नहीं कर पाएँगे | यही कारण है कि हम समग्र चेतना से हमारे आत्मिक धरातल पर परमात्मा का सहावस्थान अनुभव ही नहीं कर पाते हैं | उसे अनुभव कर पाने के लिए सरलता, सादगी और निष्ठा के साथ साथ विश्वास का होना भी ज़रूरी है |

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