हम सभी के जीवन में एक कूज़ागर एक रचयिता होता है, जो हमें बनाता है, रचता है।
परिपक्व होने के बाद ऐसा लगता है जो हुआ, वह और अच्छी तरह से किया जा सकता था। भूतकाल में हमेशा ही सुधार की दरकार रहती है, लेकिन भूतकाल को बदला नहीं जा सकता, भूतकाल से सीख लेकर भविष्य जरूर सुधारा जा सकता है।
इस काव्य संग्रह में सभी जीवन से जुड़ी हुई कविताएँ है, जीवन जो अब तक समझा वह काव्यरूप मे संग्रहित है।
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