पुस्तक-विवरण
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सच्चे देशभक्त और वीर पुरुष थे। वे जीते जी भारत को आजाद देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज की कमान संभाली और अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया। उनके दुर्भाग्य से द्वितीय विश्वयुद्ध में धुरीराष्ट्रों की हार हो गई। वे स्वयं भी कथिततौर पर एक वायुयान हादसे में 1945 में वीरगति को प्राप्त हो गए।
उनकी शहादत के 75 साल बीत गए। इस बीच कई सरकारें आई और गईं। अनेक आयोग गठित हुए। लेकिन, मौत का रहस्य, रहस्य ही रह गया। इन्हीं परिस्थितियों पर लिखी गई नेताजी पर जीवनी पठनीय और संग्रहणीय है।
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