इस पुस्तक में समाहित सभी 32 रचनाएँ नव युवकों के हृदय में देशभक्ति की भावना की ज्योति जगाने वाली, अपने देश पर वलिदान हो जाने को प्रेरित करने वाली और पग-पग पर उन्हें उचित मार्ग अपनाने की सीख देने वाली हैं-
यदि आचार्य नीरज शास्त्री जी की इस पुस्तक का आकलन किया जाय तो पहली बात तोयह है कि राष्ट्रवाद का संस्कार आचार्य नीरज शास्त्री जी को अपने माता-पिता से जन्म से ही मिला है जिसने उनके स्वभाव को देश के प्रति समर्पण की भावना से ओत-प्रोत बनाया है। यही कारण है कि चाहे उनका कहानी संग्रह - 'रिश्तों का मान हो या फिर गजल संग्रह- 'पत्थरों के शहर में', 'कल्याण सूत्र शाकाहार हो या फिर 'सफलता के सोपान' या 'भारत भाग्य विधाता' काव्य संग्रह हो या बच्चों के लिए लिखी गई बाल कहानी संग्रह- 'सोच का प्रतिफल' सभी पुस्तकों में देशप्रेम की भावना का कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में समावेश अवश्य परिलक्षित होता है और यह सायास नहीं किया गया बल्कि स्वभावगत रूप से परिलक्षित है। डॉ दिनेश पाठक'शशि'