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 कुख्यात बदमाश विनोद पांडे के ‘बुलैट गैंग’ का खात्मा करने के लिए पुलिस उसकी कोठी में रेड करती है। मुठभेड़ में कतिपय पुलिसमैनों के द्वारा दगाबाजी करने से विनोद पांडे, एक डीएसपी, एक सबइंस्पेक्टर सहित 8 आरक्षकों को मौके पर ही मार डालता है। 
 वीरगति को प्राप्त डीएसपी की एक बेटी और सबइंस्पेक्टर का एक बेटा है, जो पीएससी से चयनित होकर नए-नवेले डीएसपी बने हैं। 
प्रशिक्षु पुलिस अधिकारीद्वव, जिस तरह की चतुराई व दिलेरी से ‘बुलेट गैंग’ का सफाया करते है और अपने पिता के कातिलों से प्रतिशोध लेते है, वही प्रस्तुत उपन्यास का रोमांच है। 
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