वो हमारे बिना कुछ नही,
और हम उनके बिना कुछ भी नही।
पापा।।
आर्ची आडवाणी सैनी
मेरी जिन्दगी का एक खुबसूरत हिस्सा है वो, अल्फाज मेरे और बातें उनकी, आसूँ मेरे, पर दर्द उनको। बडी ही अजीब है ना जिन्दगी, हमे बिन मांगे इतना कुछ दिये रखती है, और हमे अह्सास भी नहो होता। कि शायद, कुछ सोचने से पहले, कुछ करने से पहले महसूस तो किया होता, कि हमारी कहानी कितनी खूबसूरत है, अक्सर होता है, इन्सान को मिली जो चिज आसानी से होती है, उसकी उसे कद्र नही होती, पर चलो अगर वक़्त रहते सुबह का भुला शाम में घर आ जाए, तो उसे भुला नहीं कहते। ये कहानी सिर्फ मेरी नही है, हर उस बेटी की है, जिसके पापा उसको अपना बेटा समझते है, और हर उस पिता की है, जिसके लिए उसकी बेटी उसका अभिमान है।
मेरे पिता मेरा सपना है, मेरी सारी दुनिया उनमे बस्ती है, और अगर कोई पुछे मुझसे मेरे मान के बारे में तो मुझे ये बताने में सोचना नहीं पडता, कि मेरे पिता मेरा मान है।
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