जेलखाना हो या महिला छात्रावास ,कॉलेज होस्टल हो या होटल ,रेलवे स्टेशन हो या बस अड्डा ,सड़क किनारे स्थित ढाबा ,लाइन होटल हो या फिर बालिका गृह ,महिला आवास गृह सभी जगहों पर देह व्यापार ने अपनी जड़ें जमा ली हैं ।बहुत जगहों पर तो सेक्स वर्करों को लाइसेंस तक होता है लेकिन इन लाइसेंसी सेक्स वर्करों से कई गुना ज्यादा गैर लाइसेंसी और हाई फाई सेक्स वर्कर हैं ।
लेखक ने अपनी पुस्तक "पतिता" के माध्यम से जिन समस्याओं को उभारा है,उस पर सरकार और समाज को गंभीरता से विचार करना चाहिए ।व्यापक सुधार के प्रयास होना चाहिए अन्यथा इस देश की संस्कृति नष्ट होने के कगार पर पहुंच जाएगी ।