भारतवर्ष के हर कोने में राम और कृष्ण की गाथाएं रची बसी हैं अयोध्या, चित्रकूट, नासिक, मिथिला, रामटेक, किष्किंधा, रामेश्वरम् में सीताराम हैं तो मथुरा, वृंदावन, द्वारिका, जगन्नाथ पुरी, श्रीनाथजी, कुरूक्षेत्र में कृष्ण की राधा, रूक्मिणी, सत्यभामा की अतिरंजनी छवि है पंढरपुर में विट्ठल, दक्षिण में तिरूपति, मीनाक्षी, रंगनाथ इसके अतिरिक्त अष्टविनायक के आठ स्थान, शिवशंकर के बारह ज्योतिर्लिंग, मां भवानी के बावन शक्तिपीठ, इस प्रकार हर एक धराखंड पतित पावन होने के साथ कुछ लीला चरित्र संस्कृति का अटूट हिस्सा बन जाता है और वहां की मिट्टी, कण कण में ईश्वर का निवास परिलक्षित होने लगता है "अयोध्या और मथुरा - एक कवित्त" इन्हीं अनूठी भावनाओं की अभिव्यक्ति है जिसमें राम और श्याम के संस्मरण, अंतर्मन को चिर-परिचित आनंद से सराबोर कर देते हैं।इस पुस्तक में लिखी रचनाएं पढ़कर अलौकिक आनंद की अनुभूति कीजिए।