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Rang-E-Lucknow / रंग-ए-लखनऊ

Author Name: P. Shandilya | Format: Paperback | Genre : Biographies & Autobiographies | Other Details

वैसे तो लखनऊ की हवा में ही मिठास घुलि हुई है पर नमकीन भी हद्द है ये शहर।नवाबों का शहर...नवाबों सा शहर, इतने रंग हैं इसके कि हर रंग में बेहद ख़ूबसूरत।एक लखनवी की ज़िन्दगी से जुड़ी चंद खट्टी-मीठी यादें। लखनऊ की ज़ुबाँ पर अक़्सर आने वाले लफ़्ज़-“भौकाल”, ”बकैती”, ”हुज़ूर”, ”अमाँ मियाँ”; ‘गंज’ और ‘अमीनाबाद’ से जुड़ीं कुछ रंगीन दास्तानें और उनमें सराबोर ‘रंगबाज़ी’ से भरा एक लखनवी का दिमाग़ी फ़ितूर। हंसी-मज़ाक और व्यंग इस शहर की मिट्टी में अपने-आप उग आता है। बातें बेलौस कह दी जाती हैं। अक्खड़ी देसी सोच हो और वो भी रंगीन, तो बात निकल ही आती है शहरों की। क़िस्से-कहानियाँ और मज़ेदार मिसालों से भरी ये पुस्तक पाठक को हँसाती भी है और बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर करती है। ये कहानियाँ आप की ज़िंदगी की भी हैं। कुछ ज़ायके, कुछ तीखे मसाले; थोड़े चुलबुले मज़ाक दोस्तों के; थोड़ा अल्लहड़पना जवानी का; कुछ ममता की गहरी सी छाँव और वो गलियाँ जिनमे हम सब कभी-न-कभी भरी दुपहरी में खेल चुके हैं। पेश-ए-ख़िदमत है ‘रंग-ए-लखनऊ’।

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पी. शाण्डिल्य

लेखक का जन्म वर्तमान प्रयागराज(इलाहाबाद)में हुआ था और ये लखनऊ शहर में पले-बढ़े। बचपन से ही इनकी साहित्य व लेखन में रुचि थी। ये मूलतः अध्यात्म से प्रभावित रहते हैं और इन्हें संगीत में विशेष रुचि है। किशोर कुमार इनके प्रिय गायक हैं। अपने परनाना व हिंदी के प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय पंडित श्रीनाथ मिश्र का लेखक पर विशेष प्रभाव रहा है। खाली समय में अध्ययन, लेखन व संगीत सुनना इनके प्रिय कार्य हैं। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य से एम.ए. किया है। ‘रंग-ए-लखनऊ’ इनका पहला प्रकाशित होने वाला संस्मरण संकलन है जिसमे लेखक ने लखनऊ शहर से जुड़ी अपने बचपन की यादों और कुछ विचारों को रोचक व हास्य-व्यंग्य की शैली में लिखा है। पाठक अपने विचार writerpshandilya@gmail.com पर लेखक से साझा कर सकते हैं।

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