अशोक कुमार हिंदी फिल्मइंडस्ट्री में लेखक हैं जिन्होंने कई दिग्गज निर्माता और निर्देशक के साथ काम किया है, उनका सपना एक कामयाब फिल्म निर्माता बनना है। अशोक का मानन है की इंसान जो कुछ भी करना चाहता है वो कर सकता है, बस उसको, उन लोगों के साथ रहना है, जिस तरह का वो काम करना चाहता है। "जैसी सांगत, वैसी रंगत" भी आ जाती है। मुंबई के संगर्ष के दौरान प्रतिदिन जो विचार उनके मन में आतें थे उनको कविता में बदल दिया। उन कविताओं के संग्रह को उन्होंने इस पुस्तक में शामिल कर दिया है।