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Saanjhi Saanjh / सांझी साँझ खंड 5 / Vol 5

Author Name: Dr. J.V. Manisha Bajaj | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

वक्त के पहिए पर सवार जिन्दगी जिन रास्तों से गुज़रती है वह हर पल एक कहानी से जुड़ते चले जाते हैं अनुभवों की किताब में। जिन्हें पलट कर फिर से पढ़ना] सुनाना या जीना हमेशा  अच्छा लगता है। आइने में रोज देखने के बाद भी अपने चेहरे पर उभरते बदलाव कहां दिखाई पड़ते हैं। ये तो भला हो एलबम में टंकी तस्वीरों का जो चीख-चीख कर बता देतीं हैं कि उम्र चहरे पर कितनी नई लकीरें खींच कर चली  गई  है। बालों में चांदी भर गई है और समय के ताप में तपा कर समझ को कुंदन कर गई है। बचपन में गिरने या खो जाने के डर से उंगली पकड़ कर चलने वालों की उंगली जब उन्हें गिरने या खो जाने के डर से पकड़नी पड़ती है तो वक्त के पहिए पर सवार जिन्दगी का सफर बिना एहसास दिलाए बीते हुए हर पल एहसास दिला जाता है। कितना आश्चर्यजनक  है कि बचपन बच्चा नहीं रहना चाहता और बड़े होने के बाद सभी बचपन की ओर हसरत भरी निगाहों से देखते हैं। सोच कर देखें तो हर रोज़ ऐसा  क्या नया था? बस सुबह शाम  में और रात सुबह में ही तो बदलती  थी रोज, जिसने पूरा का पूरा बदल दिया हम सबको!

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डॉ. जे वी मनीषा बजाज

डॉ. जे.वी. मनीषा बजाज - लेखिका, निर्देशक और समाज सेविका
डॉ. जे.वी. मनीषा 4 दशकों से मीडिया और रचनात्मकता की दुनिया से जुड़ी हुई हैं। उनकी यात्रा कम उम्र में ही अपनी कविताओं और रचनाओं से स्कूली प्रतियोगिताओं में भाग लेने से शुरू हुई और लाल किले के प्राचीर तक पहुँचीं।
दूरदर्शन के साथ उनका जुड़ाव एक एंकर के रूप में शुरू हुआ और बाद में उन्होंने उनके लिए 'सफ़र ज़िंदगी का' शो निर्मित किया जो उस समय के सबसे ज़्यादा टीआरपी वाले शो में से एक था। डॉ. जे.वी. मनीषा बजाज एक अभिनेता, निर्देशक, निर्माता या लेखक के रूप में कई टीवी शो, टेलीफ़िल्म्स, विज्ञापन, टेलीफ़िल्म्स आदि का हिस्सा रही हैं। उनकी फ़िल्में अब कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल सहित विभिन्न फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भाग ले रही हैं। मीडिया और ऑडियो-विज़ुअल प्रोडक्शन इंडस्ट्री में उनके अनुभव के कारण उन्हें केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया और वे अभी भी उनके साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उनके मानवीय पक्ष ने न केवल उनकी रचनात्मकता को प्रभावित किया, बल्कि उन्हें हमारे बुजुर्गों द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न आवश्यकताओं और मुद्दों से भी जोड़ा, जिसके कारण उन्होंने 2003 में 'हरिकृत' नामक एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की स्थापना की, जो पीढ़ीगत अंतर को पाटने की सोच को बढ़ावा देकर बुजुर्गों के लिए बेहतर रहने का माहौल बनाने में काम करता है। यह श्रृंखला हमारे बुजुर्गों को समर्पित है। 
डॉ. जेवी मनीषा एक सफल लेखिका रही हैं और इस से पहले उन्होंने जीवन के उन मनोभावों पर 7 किताबें प्रकाशित की हैं, जिनसे हम रोज़ ही गुजरते हैं। सांझी सांझ (खंड 5) उनकी 8वीं प्रकाशित पुस्तक है।

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