लघु कथाओं का संकलन
ईश्वर की मानव रचना की कारीगरी पर नतमस्तक हूं। उन्होंने एक मां को सन्तानोत्पति की क्षमता एक निश्चित आयु तक ही दी जिससे उनकी रचना को यथोचित पालन पोषण व संरक्षण मिले। यानि जब संतान को देखभाल की आवश्यकता होती है तब माता पिता में संतान की देखभाल कर पाने की क्षमता होती है पर जब समय आयु को बढ़ाता है तथा संतान युवा हो जाती है और माता पिता वृद्ध, उस समय सन्तान में क्षमता होती है और माता पिता को देखभाल की आवश्यकता।
इसी आवश्यकता की ओर इंगित है यह कहानी संग्रह ‘सांझी सांझ (खंड- २)’। अपने आज के कर्म का यथाशक्ति निर्वहन सुखमय भविष्य की नींव है। इंसान अपने समय अनुसार अपने दायित्व को समझे और स्वालंबी हो कर स्वयं ही जीने की राह खोजे।
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