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Sand, Cities, and a Hint of Honey / रेत, शहर, और थोड़ा शहद Poems, Verses, and a Gentle Glimpse of the World / शायरी, नज़्में और दुनिया की हलकी सी तस्वीर

Author Name: Kumar Firozabadi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

"शायद ये शायरी नहीं - बस कुछ एहसास हैं, जो शब्दों में आ गए।"

कभी वो PCO जहाँ दिल कॉल करता था…
कभी शहर जो घर ना बन सका, या घर जो अब अजनबी लगता है।
कभी बुतख़ाना - जहाँ जज़्बात सजते हैं, मगर सुनने वाला कोई नहीं।

‘रेत, शहर और थोड़ा शहद’ उन लम्हों की किताब है जो आज के शोर में कहीं दब गए हैं।

अगर आपने कभी किसी से मोहब्बत की है, या अपने आप से -
अगर पुराने ज़माने की सादगी और आज के रिश्तों की उलझन आपको छूती है -
तो ये किताब सिर्फ पढ़ने की नहीं, महसूस करने की है।

इसे खुद को  या किसी ऐसे को दीजिए, जो सुनना भूल गया है।
शायद इन पन्नों में कोई ऐसी बात मिल जाए जो दिल में ही अटकी थी।

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कुमार फिरोजाबादी

कुमार फिरोज़ाबादी के नाम से लिखते हैं। IIT मुंबई के भूतपूर्व छात्र, करियर की शुरुआत सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से की, फिर मैनेजमेंट, डिज़ाइन में फ्रीलांसिंग और 40 की उम्र में रफ़्तार से निकलकर ठहराव को चुना। लेकिन शायरी न पेशा है, न कोई मंज़िल , बस एक शांत कोना है, जहाँ वो लौटते हैं।

फिरोज़ाबाद में जन्मे, बचपन से कवि सम्मेलनों के दीवाने रहे। पहला शेर तब लिखा, जब पत्नी की एक बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में मदद कर रहे थे। धीरे-धीरे ये आदत बन गई  एक ऐसी जगह, जहाँ दिल खुलकर साँस लेता है।

उन्हें छोटी और शांत जगहें पसंद हैं जहाँ खामोशी महसूस करने की ताक़त देती है, और जज़्बात धीरे-धीरे पकते हैं।

उनके लफ़्ज़ उन लम्हों की कहानी है, जो कहे नहीं जाते  पर महसूस सबने किए होते हैं। 'रेत, शहर और थोड़ा शहद' किसी मंच के लिए नहीं, आपके लिए है  जिन्होंने कभी मोहब्बत की हो, खोया हो, PCO पर रुके हों या ज़िंदगी की भागती रफ़्तार में कुछ देर ठहर गए हों।

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